साँसें हुई बहुत प्रतिक्षा रत हैं…
साँसे बहुत प्रतिक्षा रत हैं
बाहें उत्सुक आलिंगन को
प्रेम दीप आलोकित करके
मन अभिलाषित मधुर मिलन को
स्वप्न सजाए कब से आँखें
राह निहार रही हैं प्रियतम
मिलने को अभिलाषित धडकन
तुम्हें पुकार रही हैं प्रियतम
मेरे दिल की धडकन धडकन
उत्सुक है प्रिय अभिवादन को…
प्रेम दीप आलोकित करके
मन अभिलाषित मधुर मिलन को…
मन भावों ने लिखा स्वागतम
पलके तोरण द्वार बनी है
प्रियतम का स्वागत करने को
इच्छायें सब हार बनी है
पुष्प पाँखुरी बनी भावना
द्वार खडी है अभिनंदन को…
प्रेम दीप आलोकित करके
मन अभिलाषित मधुर मिलन को…
लगे एकटक पथ पर नयना
राह निहार रहे हैं प्रियतम
मन वीणा के झंकारित स्वर
तुम्हें पुकार रहे हैं प्रियतम
तन माटी पाने को आतुर
प्राण प्रिय पावन चंदन को…
प्रेम दीप आलोकित करके
मन अभिलाषित मधुर मिलन को…
आ जाओ यदि एक बार तुम
पावन मेरा दर हो जाए
पूर्ण प्रयोजन हो जीवन का
तुमसे मिलन अगर हो जाए
साँसे बहुत प्रतिक्षा रत हैं
प्रियतम साँसों के वंदन को…
प्रेम दीप आलोकित करके
मन अभिलाषित मधुर मिलन को…
सतीश बंसल