मुक्तक/दोहा

दोहे…

मन का पंछी उड़ रहा, सपनों के आकाश।
तन भौतिकता लीन है, कैद मोह के पाश॥

जीवन की परिकल्पना, अंतस का संकल्प।
विपदा में देते हमें, पग पग नया विकल्प॥

चिंतन साधन भूलकर, मन चिंता में लीन।
अपयश के भागी सदा, होते कर्मविहीन॥

जन जीवन के मूल हैं, सब धर्मो के ग्रंथ।
मानवता सदभावना, सिखलाते सब पंथ॥

चिंता देती चित्त को, केवल रोग विकार।
चिंतन से मिलता सदा, जीवन को विस्तार॥

जीवन भर पलता रहा, मन में अन्तर्द्वंद।
जीवन के इस पुष्प में, पला नही मकरंद॥

अंतस में आँधी चली, आनन भाव विहीन।
मिथ्या विपदा काल में, कर देती है दीन॥

मन को साधो सत्य से, जीवन करो सुदीप।
विपदा के अँधियार में, आशा जलते दीप॥

बंसल सत की साधना, सबसे उत्तम कर्म।
मानव सेवा जानिये, मानवता का धर्म॥

सतीश बंसल
१८.०५.२०१७

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.