लघुकथा : डिजिटल प्रेम
” विधि , प्रसून जी इसी बार पुस्तक मेले में दिल्ली आएंगे ! तुम आ रही हो ना मिलने ?”
Read More” विधि , प्रसून जी इसी बार पुस्तक मेले में दिल्ली आएंगे ! तुम आ रही हो ना मिलने ?”
Read Moreसुविख्यात साहित्यकार श्रद्देय देवेन्द्र शर्मा ‘इन्द्र’ जी (गाज़ियाबाद) से कई बार फोन पर बात होती— कभी अंग्रेजी में, कभी हिन्दी
Read Moreआज कंगनवा हठ कर बैठे, कैसे हाथ चढ़ाऊँ आज लगे श्रृंगार अधूरा, कैसे मन समझाऊँ सतरंगी सपने आंखों में, करते
Read Moreसुनो भगत सिंह तुमको फिर से , भारत में आना होगा सोये दिखते लोग यहाँ पर ,उन्हें फिर जगाना होगा
Read Moreचलो आज तुम्हें एक सरकारी स्कूल की कहानी सुनाता हूं नंगे पैर ,बदन पर मां के हाथों से सिला हुआ
Read More