कविता

बस मेरा इश्क़ ख़ास..!!

कब हासिल छीन के

ए- सुनो, तुम्हें इश्क़

देखती रही बस तुम

रूह उकेरते रहे…

बातों की साज़ में

हम-तुम बिछड़ते रहे..

फिर कब किया ज़बरन तुमसे

यही सोच में उलझती खुद से

पहले भी जली लौ बन

हौले-हौले मंद बयार की तरह

सांसो से अक्सर मिलते रहे

आज वफ़ा में तेरे जल रही

ख़ामोशी सिये सह भी जाऊँ

कि मुझे तुझपे इख्तियार नहीं

फिर मुझे सुन के तुम खामोश

बेचैन लौ के दीपक हो

मझधार में प्रीत मेरी

इश्क़ की रीत निभा रही

फासले औ फैसले के नाम

अश्क़ों से सब्र का बांध बना रही

कि अब इश्क़ से इश्क़

रूह भी कबका कर दिया फ़ना

तू जागीर नहीं जो छीन लूँ

ज़िंदगी कह फिर मुँह मोड़ लूँ

वक़्त के साथ ठहरी

मद्दिम रौशनी सी जलूँगी..

नंदिता लौ तुम दीपक तमाम उम्र साथ-साथ …बस मेरा  इश्क़ ख़ास..!!

 तनूजा नन्दिता

 

 

तनूजा नंदिता

नाम...... तनूजा नंदिता लखनऊ ...उत्तर प्रदेश शिक्षा....एम॰ ए० एंव डिप्लोमा होल्डर्स इन आफिस मैनेजमेंट कार्यरत... अकाउंटेंट​ इन प्राइवेट फर्म वर्ष 2002से लेखन में रुचि. ली... कुछ वर्षों तक लेखन से दूर नहीं... फिर फ़ेसबुक पर वर्ष 2013 से नंदिता के नाम से लेखन कार्य कर रही हूँ । मेरे प्रकाशित साझा संग्रह.... अहसास एक पल (सांझा काव्य संग्रह) शब्दों के रंग (सांझा काव्य संग्रह) अनकहे जज्बात (सांझा काव्य संग्रह ) सत्यम प्रभात (सांझा काव्य संग्रह ) शब्दों के कलम (सांझा काव्य संग्रह ) मधुबन (काव्यसंग्रह) तितिक्षा (कहानी संग्रह) काव्यगंगा-1 (काव्यसंग्रह) लोकजंग, शिखर विजय व राजस्थान की जान नामक पत्रिका में समय समय पर रचनाएँ प्रकाशित होती रहती है । मेरा आने वाला स्वयं का एकल काव्य संग्रह... मेरी रुह-अहसास का पंछी प्रकाशन प्रक्रिया में है नई काव्य संग्रह- काव्यगंगा भी प्रकिया में है कहानी संग्रह भी प्रक्रिया में है संपर्क e-mail [email protected] Facebook [email protected]