पिता का साया
पिता का साया
पिता का साया गर जिंदगी मे नही होता ।
मिली जिंदगी मे खुशीयों में रंग नही होता ।।
बेनूर होती ज़िंदगी ,ज़िंदगी नही होती ।
बिन साये के जीने का ढंग नहीं होती ।।
कभी रोशनी नहीं होती ज़िंदगी में यारो ।
पिता ने हर पल किया ज़ंग नहीं होता ।।
वे रंग हो जाती दीवारें दिले मकां की ।
गर पिता ने इन्हें दिया रंग न होता ।।