ग़ज़ल हिंदोस्तानी है
ये हिंदी और उर्दू की विरासत खानदानी है
हमारे दिल की धड़कन ये ग़ज़ल हिन्दोस्तानी है
ग़ज़ल पाकीज़गी का नाम है ये वो सफर जिसमें
कहीं पर आबे ज़मज़म है कहीं गंगा का पानी है
सुख़नवर की क़लम बेलौस जो तस्दीक़ करती है
यही है वो कलमकारी यही वो सच बयानी है
यहाँ है धड़कनों सी धुन भी साँसों सी रवानी भी
ग़ज़ल में रूह रमती है ग़ज़ल में ज़िंदगानी है
लिखी जिसने पढ़ी जिसने कही जिसने सुनी जिसने
दिलों की तर्जुमानी है ग़ज़ल सबकी कहानी है
-प्रवीण श्रीवास्तव ‘प्रसून’
Bahut khubbbb
हार्दिक धन्यवाद