युग विचार
प्रतिरोध
प्रतिशोध
और सिमटती
धैर्य की दीवार ।
संवेदनाशून्य
भटकता बचपन
मचा रहा है हाहाकार ।
बाल-अपराध
वीभत्य घटनाएँ
बटोर रही हैं
आज सुर्खियाँ ।
संस्कार विहीन और
कुंठित बचपन
समेटे है मन में भ्रष्ट विचार ।
छीजते हुए
भावनात्मक रिश्ते
और दरकती
भरोसे की दीवार ।
पढ़ते हैं अखबारों में
भरोसे का होता है
रोज बलात्कार ।
क्यों और कैसे
मासूम बचपन
करने लगा
क्रूर – पैशाचिक अपराध ?
क्यों बचपन ने ओढ़ी
निर्लजता की चादर ?
अब तो करो युग विचार ।
अंजु गुप्ता