कविता

युग विचार

प्रतिरोध
प्रतिशोध
और सिमटती
धैर्य की दीवार ।
संवेदनाशून्य
भटकता बचपन
मचा रहा है हाहाकार ।

बाल-अपराध
वीभत्य घटनाएँ
बटोर रही हैं
आज सुर्खियाँ ।
संस्कार विहीन और
कुंठित बचपन
समेटे है मन में भ्रष्ट विचार ।

छीजते हुए
भावनात्मक रिश्ते
और दरकती
भरोसे की दीवार ।
पढ़ते हैं अखबारों में
भरोसे का होता है
रोज बलात्कार ।

क्यों और कैसे
मासूम बचपन
करने लगा
क्रूर – पैशाचिक अपराध ?
क्यों बचपन ने ओढ़ी
निर्लजता की चादर ?
अब तो करो युग विचार ।

अंजु गुप्ता

*अंजु गुप्ता

Am Self Employed Soft Skill Trainer with more than 24 years of rich experience in Education field. Hindi is my passion & English is my profession. Qualification: B.Com, PGDMM, MBA, MA (English), B.Ed