शिशुगीत

जोड़ना

एक में एक मिलाओ, आगे की संख्या पाओ.
देखो बुजुर्ग एक, चलता लाठी टेक.
ये हलवाहे दो, बीज रहे हैं बो.
हरे तोते तीन, खाते दाना बीन.
मिलकर मछुए चार, रहे मछलियां मार.
मोर मुराले पांच, दिखा रहे हैं नाच.
बकरी-बकरे छै, करते मैं मैं मैं.
झाड़ खड़े हैं सात, जिनमें एक न पात.
बैठे लड़के आठ, पढ़ते अपना पाठ.
झुककर नौकर नौ, कूट रहे हैं जौ.
ये चौपाए दस, गये कीच में फंस.

लीला तिवानी

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “जोड़ना

  • लीला तिवानी

    जोड़ना सीखो, तोड़ना नहीं,
    मुड़ना सीखो, मोड़ना नहीं.

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