गीतिका/ग़ज़ल

आग निकली फ़कत धुँआ निकला

आग निकली फ़कत धुँआ निकला
क्या तमन्ना थी और क्या निकला

जिसको सागर समझ रहे थे हम
एक सूखा हुआ कुआ निकला

दूर से जो करीब था बेहद
जब गये पास फ़ासला निकला

जो ही उतरा नकाब चेहरे से
उनका चेहरा नया नया निकला

आदमी मिल सका नही कोई
हर बशर आप में खुदा निकला

बात से बात बनी है हरदम
दुश्मनी का असर बुरा निकला

जो सभी को हँसा रहा था वो
शख़्स ग़म से भरा भरा निकला

सतीश बंसल
२७.०२.२०१८

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.