गीतिका/ग़ज़ल

अदावत द्वेष रंजिश नफ़रतों को दूर कर ड़ाला

अदावत द्वेष रंजिश नफ़रतों को दूर कर ड़ाला
मुहब्बत के चरागों ने तमस को नूर कर ड़ाला

पड़ा होता कहीं गुमनामियों के घोर जंगल में
दुआ ने आपकी मुझको बड़ा मशहूर कर ड़ाला

हँसीनो को ये माना नाज़ होना चाहिये ख़ुद पर
मगर तुमको तुम्हारे हुस्न ने मग़रूर कर ड़ाला

कसम खायी किया वादा गरीबी दूर कर देंगे
मिली कुर्सी तो दौलत के नशे ने चूर कर ड़ाला

वतन के वास्ते जो जान दिल कुर्बान करते थे
सियासत ने बग़ावत पर उन्हें मजबूर कर ड़ाला

कभी भाषा कभी मजहब कभी मंदिर कभी मस्ज़िद
महज कुछ सरफिरों ने भाईयों को दूर कर ड़ाला

दिवाली में अली रमजान में थे राम जिसमे क्यूँ
जुदा हमने पुराना क्यूँ वही दस्तूर कर ड़ाला

सतीश बंसल
२८.०२.२०१८

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.