गीत/नवगीत

साध लिया है मौन सत्य ने, झूठ बराबर बोल रहा है

साध लिया है मौन सत्य ने, झूठ बराबर बोल रहा है।
आड़म्बर ने आसन पाया, धर्म भटकता डोल रहा है।।

नैतिकता अपहरित हुई है, तार तार हैं मर्यादाएं।
मूल्यहीन होती मानवता, रक्तहीन हो चली शिराएं।।
निड़र हुआ अँधियारा इतना, दिन का उड़ा मखोल रहा है…
आड़म्बर ने आसन पाया, धर्म भटकता डोल रहा है…

फंदा कसा हुआ खेतों पर, खुली छूट है उधोगों को।
गलियों पर कानूनी बंदिश, हर आजादी राजपथों को।।
रोज रोज होता घोटाला, खोल सभी की पोल रहा है…
आड़म्बर ने आसन पाया, धर्म भटकता डोल रहा है…

चीख चीख कर थकी अयोध्या, मंदिर का निर्माण कराओ।
घर की खाली गुल्लक बोली, काला धन वापिस तो लाओ।।
घाटी में दुश्मन का नारा, जिग़र हमारा छोल रहा है…
आड़म्बर ने आसन पाया, धर्म भटकता डोल रहा है…

सतीश बंसल
०६.०३.२०१८

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.