ज़िन्दगी में जब दुआ शामिल हुई
ज़िन्दगी में जब दुआ शामिल हुई
ज़िन्दगी को ज़िन्दगी हासिल हुई
आपके बिन थी अधूरी ज़िन्दगी
मिल गये जब आप तो कामिल हुई
पास हम जितना उसूलों के गये
दूर उतनी दूर हर मंजिल हुई
थी उदासी ही उदासी हर तरफ़
आप आये तो हँसी महफ़िल हुई
दिल हमारा आह भरता रह गया
आपकी हर इक अदा कातिल हुई
दीप बनकर जो जला है उम्र भर
हाँ उसी को रोशनी हासिल हुई
वाह की आवाज आयी तो लगा
ये ग़ज़ल कुछ दाद़ के काबिल हुई
सतीश बंसल
०७.०३.२०१८