कोई देखे जो मुझे ख्याल तुम्हारा आये
साथिया इश्क में अब दौर भी ऐसा आये ।
कोई देखे जो मुझे ख्याल तुम्हारा आये ।
पलकें खोलूँ या कभी बन्द करूँ चाहे,
मेरी नज़रों में फकत तेरा ही चहरा आये ।
जो तेरी ओर न जाता हो मेरे हमदम,
सामने मेरे कभी ऐसा न रस्ता आये ।
उम्र हो जाये मेरी नाम तेरे ऐसे कुछ,
भूलकर गुज़रे तुझे ऐसा न लमहा आये ।
कितनी मुद्दत से यही आस लिये बैठा हूँ,
मुझसे मिलने तो कभी मेरा मसीहा आये ।
नीरज निश्चल