गीतिका/ग़ज़ल

कोई देखे जो मुझे ख्याल तुम्हारा आये

साथिया इश्क में अब दौर भी ऐसा आये ।
कोई देखे जो मुझे ख्याल तुम्हारा आये ।

पलकें खोलूँ या कभी बन्द करूँ चाहे,
मेरी नज़रों में फकत तेरा ही चहरा आये ।

जो तेरी ओर न जाता हो मेरे हमदम,
सामने मेरे कभी ऐसा न रस्ता आये ।

उम्र हो जाये मेरी नाम तेरे   ऐसे कुछ,
भूलकर गुज़रे तुझे ऐसा न लमहा आये ।

कितनी मुद्दत से यही आस लिये बैठा हूँ,
मुझसे मिलने तो कभी मेरा मसीहा आये ।

नीरज निश्चल

नीरज निश्चल

जन्म- एक जनवरी 1991 निवासी- लखनऊ शिक्षा - M.Sc. विधा - शायर सम्पादन - कवियों की मधुशाला पुस्तक