मेरे दिल में एक छोटा सा बच्चा है
मेरे दिल में एक छोटा सा बच्चा है
जो सोचता रहता है तुम्हे, एक शरारत की तरह
कुछ बीती हुई यादों की तरह
कुछ संग संग की हुई, तूं तूँ मैं मैं बातों की तरह
हर पल लगता है ऐसे, जैसे अपना बचपन लौट आया है
कभी लगता है कि वोह प्यार, फिर से दिल में उमड़ आया है
पर अब तो बस यादें हैं, और इन दूरियों में जीना है
फिर भी यह ज़िन्दगी का ऐसा एक मधु रस है
जिसे हम सब ने सारी उम्र पीना है
— जय प्रकाश भाटिया