गीतिका/ग़ज़ल

तीरगी दिल से मिटाना चाहता हूँ

तीरगी दिल से मिटाना चाहता हूँ
दीप आशा के जलाना चाहता हूँ

रूठकर मुझसे हुए जो दूर मेरे
पास फिर उनको बुलाना चाहता हूँ

प्यार जब तक है तभी तक ज़िन्दगी है
मैं जहां को ये बताना चाहता हूँ

जानता मैं बहुत मुश्किल है लेकिन
आदमी ख़ुद को बनाना चाहता हूँ

पोंछकर आँसू किसी की बेबसी के
कुछ सुकूँ ऐ यार पाना चाहता हूँ

जश्न अपनों के घरों में हो किसी दिन
इसलिये मैं हार जाना चाहता हूँ

जानता हूँ रस्म भर भर हैं आज रिश्तें
रस्म ये दिल दिल से निभाना चाहता हूँ

जाति मजहब और वर्णों की प्रथा को
मैं ज़माने से मिटाना चाहता हूँ

चाहता हूँ भूलना पहचान अपनी
मैं मुझे भी तुम बनाना चाहता हूँ

सतीश बंसल
२५.०७.२०१८

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.