गीतिका/ग़ज़ल

माली गर गुलशन के सैयाद नही होते

माली गर गुलशन के सैयाद नही होते
सदियों के रिश्ते यूँ बर्बाद नही होते

तब तक आजादी के होने के माने क्या
जब तक कट्टरता से आजाद नही होते

हमने यदि धर्मों को समझा होता तो फिर
धर्मों के नाम कभी उन्माद नही होते

जिनके मन मैं सच का उजियारा रहता है
उनके मन में पैदा अवसाद नही होते

उस घर में दीवारें उठ जाती हैं अक्सर
जिस घर में आपस में संवाद नही होते

आवश्यकता ही तो खोंजें करवाती है
वरना ये संसाधन ईजाद नही होते

ग़ैरों की खुशियों से जो जलते हैं बंसल
उनके घर खुशियों आबाद नही होते

सतीश बंसल
२२.०७.२०१८

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.