दुश्मनों तक भी मुहब्बत भेजनी तो चाहिये
दुश्मनों तक भी मुहब्बत भेजनी तो चाहिये
अब जहां से दूर नफ़रत भेजनी तो चाहिये
जो हमें अजदाद ने सौंपी अमानत अब हमें
पीढ़ियों तक वो अमानत भेजनी तो चाहिये
सुन रहे हैं मौन अधरों की शिकायत हम अगर
कुर्सियों तक वो शिकायत भेजनी तो चाहिये
नफ़रतें फैला रहे हैं जो धरम के नाम पर
एक स्वर में उनको लानत भेजनी तो चाहिये
सूरते हालात से जो दौर के वाकिफ़ नही
अब हमें उन तक हक़ीक़त भेजनी तो चाहिये
है कबीलाई जहाँ कानून अब तक देश में
उस जगह न्यायिक अदालत भेजनी तो चाहिये
है तमन्ना हर कली की ले नजाकत आपसे
आपको उनको नजाकत भेजनी तो चाहिये
सतीश बंसल
२८.०७.२०१८