गीत/नवगीत

पावन सावन में भक्तों को

पावन सावन में भक्तों को, शिव शंकर इतना वर देना।
जो भी दर पर शीष झुकाएं, उनके कष्ट दूर कर देना।।

देव दया के हो तुम ही तो, सकल श्रृष्टि के संचालक हो।
तुम ही पालक सकल विश्व के, और तुम्ही तो संघारक हो।।
हम सब आए शरण तुम्हारी, हाथ हमारे सर धर देना…
जो भी दर पर शीष झुकाएं, उनके कष्ट दूर कर देना।।

सागर मंथन से निकला विष, पीकर सृष्टि बचाने वाले।
पाप तारिणी माँ गंगा को, इस धरती पर लाने वाले ।।
अबके सावन में हमको भी, दर्शन हे करुणाकर देना…
जो भी दर पर शीष झुकाएं, उनके कष्ट दूर कर देना…

कालों के भी महाकाल तुम, बसते घट घट कंकर कंकर।
तुम सबके मन की सुनते हो, मेरी भी सुनना शिव शंकर।।
जो जग ने मुझसे पूछे हैं, तुम ही सबके उत्तर देना…
जो भी दर पर शीष झुकाएं, उनके कष्ट दूर कर देना…

हम संसारी प्राणी हमको, योग ध्यान का ज्ञान नही हैं।
तुझको जो अर्पण कर पाएं, कोई भी सामान नही हैं।।
हम अज्ञानी हैं हमको भी, भव तरने का अवसर देना…
जो भी दर पर शीष झुकाएं, उनके कष्ट दूर कर देना…

सतीश बंसल
३०.०७.२०१८

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.