पावन सावन में भक्तों को
पावन सावन में भक्तों को, शिव शंकर इतना वर देना।
जो भी दर पर शीष झुकाएं, उनके कष्ट दूर कर देना।।
देव दया के हो तुम ही तो, सकल श्रृष्टि के संचालक हो।
तुम ही पालक सकल विश्व के, और तुम्ही तो संघारक हो।।
हम सब आए शरण तुम्हारी, हाथ हमारे सर धर देना…
जो भी दर पर शीष झुकाएं, उनके कष्ट दूर कर देना।।
सागर मंथन से निकला विष, पीकर सृष्टि बचाने वाले।
पाप तारिणी माँ गंगा को, इस धरती पर लाने वाले ।।
अबके सावन में हमको भी, दर्शन हे करुणाकर देना…
जो भी दर पर शीष झुकाएं, उनके कष्ट दूर कर देना…
कालों के भी महाकाल तुम, बसते घट घट कंकर कंकर।
तुम सबके मन की सुनते हो, मेरी भी सुनना शिव शंकर।।
जो जग ने मुझसे पूछे हैं, तुम ही सबके उत्तर देना…
जो भी दर पर शीष झुकाएं, उनके कष्ट दूर कर देना…
हम संसारी प्राणी हमको, योग ध्यान का ज्ञान नही हैं।
तुझको जो अर्पण कर पाएं, कोई भी सामान नही हैं।।
हम अज्ञानी हैं हमको भी, भव तरने का अवसर देना…
जो भी दर पर शीष झुकाएं, उनके कष्ट दूर कर देना…
सतीश बंसल
३०.०७.२०१८