ग़ज़ल
हंसाती है रुलाती है हमेशा आजमाती है
जिंदगी है बड़ी संगदिल मगर जीना सिखाती है
जब दर्द की हद हो जुवां खामोश हो जाए
दबा कर आह सीने में अश्क पीना सिखाती है।
हजारों बार टूटा दिल मोहब्बत की तमन्ना में
इश्क की आग है ऐसी जो बस दिल जलाती है ।
दोस्ती जिंदगी से कर मगर एतबार मत करना
मोहब्बत हो भले कितनी ये मिट्टी में मिलाती है।
सफर ए जिंदगी के हम चले हम कदम बनकर
देखना है कहां तक साथ है कब रुठ जाती है
नहीं शिकवा मुझे जिंदगी से अब कोई जानिब
लिखे जो गम खुशी रब ने वही हिस्से में लाती है।
— पावनी जानिब, सीतापुर