मनोकामना
तुम बनो हिमालय सा ऊंचा
छू लो नील अकाश,
दुनिया के प्रांगण में फैले
सुख्याति का प्रकाश।
सशक्त तन में बसे
एक सुंदर, सुकोमल मन,
अनुराग सुगंध से रहे भरा
जीवन प्रांगण का उपवन।
छाये न जीवन आकाश में
दुख के काले घन,
हंसी की उजली प्रकाश से
प्रदीप्त रहे सदा मन।
जुगनू सा चमको को तुम
रात के अंधियारे में।
शीश ऊंचा रहे सदा
जीवन के गलियारे में।
उम्र की डगर लंबी हो
स्वास्थ्य- बाग रहे हरा भरा।
नई खुशियां लेकर आए
जीवन का प्रत्येक नया सवेरा।
पूर्णतः मौलिक-ज्योत्स्ना पाॅल।