लघुकथा

पर्वत पर सागर

पर्वत पर सागर? आज तक सागर को पर्वत पर चढ़ते नहीं देखा, लेकिन अब 22 मई 2019 को 21 वर्षीय सागर को पर्वत पर चढ़ते हुए और विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा लहराते हुए देख लिया. सागर नोएडा कॉलेज ऑफ फिजिकल एजुकेशन के फाइनल ईयर के स्टूडेंट हैं. कितना गर्व हो रहा होगा न सागर के पिता अजब सिंह कासना को! बयां करना मुश्किल है.
सागर बिना किसी की चिंता किए अपने में मस्त बहता जाता है. सागर कासना भी बिना किसी की चिंता किए अपने में मस्त चढ़ता चला गया. सागर के अलावा ऑस्ट्रेलिया के क्रिक वुड, रूस के अलेक्जेंडर और बुल्गारिया के इवान टोमो टीम में थे. वे 4 मई को तीसरे बेस कैम्प में पहुंचे, लेकिन उन्हें खराब मौसम के कारण 18 दिनों तक चौथे कैम्प में इंतजार करना पड़ा. टीम को तेज बर्फबारी का सामना करना पड़ा और उनका उपकरण खराब हो गया. ऊंचाई पर जाकर टोमो बीमार हो गया, जिस कारण उसकी मौत हो गई.
”हौसला मत हार गिरकर ऐ मुसाफिर,
ग़र दर्द यहां मिला है, तो दवा भी यहीं मिलेगी.”
टोमो की मौत ने टीम का मनोबल गिरा दिया, लेकिन उन्होंने यात्रा जारी रखने का फैसला किया. कुछ दिन बाद वुड और अलेक्जेंडर ने चढ़ाई खत्म करने का फैसला किया. सागर कासना ने हौसला नहीं खोया और खराब मौसम के बावजूद अपनी चढ़ाई जारी रखी और 40 दिन बाद 22 मई को उसने विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर पहुंचकर आखिरकार तिरंगा लहराया.
सागर ने साथियों को मरते, अभियान छोड़ते देखा लेकिन हार नहीं मानी और एवरेस्ट फतह कर लिया.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “पर्वत पर सागर

  • लीला तिवानी

    अप्रशिक्षित पर्वतारोही पहुंचे माउंट एवरेस्ट? मौतों से उभरे गंभीर सवाल, ‘नजारा जैसे चिड़ियाघर’
    इस साल एवरेस्ट फतह अभियान में अब तक कई लोगों की जान जा चुकी है। इनमें से कई भारतीय भी हैं। दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माउंट एवरेस्ट पर पिछले दिनों ‘ट्रैफिक जाम’ जैसी स्थिति देखने को मिली। पूरे अभियान में खामी को लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो गए हैं।

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