लघुकथा

शीख

अंकुर बड़ी तेजी से अपने घर की तरफ अपनी कार को दौड़ाता हुआ जा रहा था पता नहीं उसके मोबाइल पर घर से क्या खबर आई और वह अचानक अपने ऑफिस से निकला और घर पहुंचने की जल्दी में कार को तेजी से चलाया।

घर पहुंचकर अपने पिता को अस्पताल की और तेजी से ले चला।पूरे रास्ते अपनी माँ और पिता से लड़ता रहा। मम्मी मैं पापा को कितने समय से समझा रहा हूँ कि सिगरेट और शराब छोड़ दे लेकिन ये मानते ही नही, सारा काम धाम डिस्टर्ब हो जाता है।

हॉस्पिटल पहुंचकर अंकुर के पिता के सारे टेस्ट हुए और टेस्टों के बाद पाया गया कि उन्हें अब बाईपास सर्जरी की जरूरत है।अंकुर इस बात से बहुत परेशान था।घर का एक लोटा इकलौता बेटा होने के कारण अब पिता की देखरेख के लिए उसे हॉस्पिटल में रुकना पड़ेगा।

जिसकी वजह से उसका काम में काफी ज्यादा दिक्कत आएगी।पिता का बाईपास कराने के बाद डॉक्टर उन्हें आईसीयू में ले गए।अंकुर के पिता अब ठीक है।शाम को जब अंकुर के ऑफिस के मित्र उससे मिलने के लिए आए तो अंकुर उन्हें लेकर बाहर आया और बोला यार बहुत ही परेशान महसूस कर रहा हूं आओ चलो कहीं चल कर ड्रिंक लेते हैं।

अचानक अंकुर के ऑफिस के साथियों में से एक साथ ही बोला यादगीर किस तरीके से समझाते हो कि जिस काम के लिए तुम उन्हें मना करते हो रोज शाम को उसी काम को खुद करने बैठ जाते हो अंकुर अपने मित्र की यह बात सुनकर स्तब्ध रह गया और उसके पास कोई भी जवाब नहीं बना

नीरज त्यागी

पिता का नाम - श्री आनंद कुमार त्यागी माता का नाम - स्व.श्रीमती राज बाला त्यागी ई मेल आईडी- neerajtya@yahoo.in एवं neerajtyagi262@gmail.com ग़ाज़ियाबाद (उ. प्र)