प्रेम-बंधन..!!
जानती हूँ जितनी वफ़ा मैं जीती
उसकी दो गुनी सांसे तुम्हारी है…
रातें, लम्बी गहरी काली खामोश…
फिर भी जिंदगी हर सुबह ..सदा
तुम्हारे साथ ही मुस्कुराती है…
बिंदी, सिंदूर, माथे की कुमकुम
साजन की सजनी मिले हम-तुम
हर वादे पे थामे हाथ तुम्हारा
तुम संग जियें वो अरमां हमारा
कि नंदिता बंधी विश्वास के नाम
प्रेम-बंधन में छिपा संतोष हमारा है…!!
#नंदिता