युगों युगों तक
युगों युगों तक कीर्ति आपकी नहीं मिटेगी,
प्रलय तलक पदचिन्ह आपकी नहीं मिटेगी।
यहां गौरव गाथा गीतों में बनकर गूंजेगी,
पर मनुज रुप में किसी सदन में नहीं दिखेंगी।।
आयेंगी लाखों पदचिन्ह पकड़कर सदन में,
पर तीखे मीठे बोल आपके गूंजेगी ना सदन में।
जो ओज आपमें, तेज आपमें झलक रहा,
ऐसी कोई प्रतिभा अब लौकेगी ना सदन में।।
कहने को बहुत कहूं मैं, पर छोटा हूं मैं माते,
कवि कुल के बड़े-बड़े विद्वान आपके गुण गाते।
पर अपनी श्रद्धा के सब फूल कर रहा हूं अर्पण,
दे जाना आशीष मुझे भी मुक्ति लोक जाते-जाते।।
।। प्रदीप कुमार तिवारी।।
करौंदीकला, सुलतानपुर
7978869045