यूँ जिंदगी मेरी नीलम कर गयी
यूँ जिंदगी मेरी नीलम कर गयी
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यूँ जिंदगी मेरी नीलम कर गयी,
ना चाहते हुए भी बदनाम कर गयी।
पापा की थी परी जबसे हूर बन गयी,
बदनाम कर के बाप को मशहूर बन गयी।।
नाजों से तुमको पाला था नासूर बन गयी,
खुशियों भरे भवन को गम में चूर कर गयी।
मैं दोष उसे दूँ क्या जिसे जानता नहीं,
जब लाडली ही बाप को मजबूर कर गयी।।
बेटी तुम्हे क्या मरूँगा मैं खुद ही मरा हूँ,
तू जानती ना लिए कितना दर्द खड़ा हूँ।
मशहूर होने का दिखाया तूने जो चरित्र,
तेरी चाल से ओ पुत्री सुबहो शाम मरा हूँ।।
तू जानती नहीं है तेरे माँ की क्या दशा,
जो सामने आया वो मुहं दबा के है हंसा।
उसे जग हँसाई झेलने की आई ना कला,
बिस्तर पे लेटी है दावा में प्राण है बसा।।
तुमको मिले तेरी ख़ुशी, मुझको मिले गम,
मशहूर तू हुयी बेटी, तो बदनाम हुये हम।
कैसे कहूं की जीत कर भी हारी नहीं तू,
बदनाम मैं हुआ जो तो कारण बनी है तू।।
कहते हैं लोग देखो फलानी का बाप है,
बेशर्म है यही, यही भगोड़ी का बाप है।
मर जाना था जिसे चुल्लू भर पानी में,
बाजार घूमता यह निगोड़ी का बाप है।।
अब भी चाहता हूँ छोरी खुश रहे सदा,
ना मिले छोरी तुझको मुझ जैसे सजा।
ना भागे तेरी छोरी अपने यार के शहर,
हाँथ जोड़ प्रभु से मैं वर मांगता सदा।।
।।प्रदीप कुमार तिवारी।।
करौंदीकला, सुलतानपुर
7978869045