जन्मे कृष्ण मुरारी
मथुरा में जब पाप बढ़ा था ,
कंस से लोग घबराए
वसुदेव -देवकी जेल गए ,
रिश्ते कुल के थर्राए ।
बेड़ियों में उनको जकड़ के ,
पहरा कड़ा था बिठाया ।
क्रूर कंस के अनाचार ने
जुल्म उन पर करावाया ।
हुई देवकी की गोद हरी ,
ईश ने कृपा बरसायी ।
भाद्रपद की कृष्ण अष्टमी ,
घोर काली रात आयी ।
जन्में जेल में नन्दलाला ,
हुई लीला चमत्कारी ।
सब पहरेदार थे सो गए ,
बेड़ी टूटी तब सारी ।
लाल रख सूप में वासुदेव ,
नन्दधाम ईश पधारे ।
यशोदा को कृष्ण दे के वे ,
लल्ली ले सिर पर धारे ।
चले निडर देवकी के पास ,
लल्ली को उधर लिटाया ।
बेड़ी में वे फिर जकड़े थे ,
रुदन सुन के कंस आया ।
लड़की को पटका धरा पे ,
बोली कंस से योगमाया
तेरा काल गोकुल में गया ,
वही करने अंत आया ।
खुशियों से जन -मन हर्षाया ,
बजी आज है शहनाई
कृष्ण लला होने की बाँटी ,
गोकुल में नन्द मिठाई ।
दर्शन देने भक्तों को हैं ,
आते हैं कृष्ण मुरारी
शोषण अधर्म जब-जब होता,
जन्मते कृष्ण मुरारी।
— डॉ मंजु गुप्ता