गीतिका/ग़ज़ल

गज़ल

बिजली की तार पे बैठा अकेला पंछि,
सोचता है कि वो जंगल से पराया होगा.
शोर यूँ ही तो न दरिंदों ने मचाया होगा

कोई खुद सा महफूज़ शहर में आया होगा.
शज़र बिन देखा कहाँ बैठे सोचा होगा
बदन जल जायेंगे पर हासिल न छाया होगा.
होड़ लकड़ी लपक गिरोह लुभाया होगा
होश कमाई तलव आरा चलाया होगा.
मानिए ज़श्ने बहारा सोचा भी नही था
जान जोखम हो आंधी से बचाया होगा.
जख्म “रेखा” ले घबराके उडे थे प्यासे
बन सराब उन्हें समुन्द्र नज़र आया होगा.

— रेखा मोहन

*रेखा मोहन

रेखा मोहन एक सर्वगुण सम्पन्न लेखिका हैं | रेखा मोहन का जन्म तारीख ७ अक्टूबर को पिता श्री सोम प्रकाश और माता श्रीमती कृष्णा चोपड़ा के घर हुआ| रेखा मोहन की शैक्षिक योग्यताओं में एम.ऐ. हिन्दी, एम.ऐ. पंजाबी, इंग्लिश इलीकटीव, बी.एड., डिप्लोमा उर्दू और ओप्शन संस्कृत सम्मिलित हैं| उनके पति श्री योगीन्द्र मोहन लेखन–कला में पूर्ण सहयोग देते हैं| उनको पटियाला गौरव, बेस्ट टीचर, सामाजिक क्षेत्र में बेस्ट सर्विस अवार्ड से सम्मानित किया जा चूका है| रेखा मोहन की लिखी रचनाएँ बहुत से समाचार-पत्रों और मैगज़ीनों में प्रकाशित होती रहती हैं| Address: E-201, Type III Behind Harpal Tiwana Auditorium Model Town, PATIALA ईमेल chandigarhemployed@gmail.com