तिमिर
चिंतन पर
तिमिर का कब्जा
पहले भी था
आज भी है
पर न रहे भविष्य में
इसलिए
वर्तमान में
क्रांति करके
ज्ञान की रौशनी द्वारा
अज्ञान के तिमिर को
छिन्न भिन्न कर
चिंतन को
मुक्त कराना होगा
वरना
मनुष्य द्वारा जनित
अनेकों तिमिर जाल में
फँसकर
हमारा चिंतन
अकाल ही
दम तोड़ देगा
और हम
विकास की गाड़ी में
अपने ही हाथों
बैक गियर लगाकर
आगे जाने का
स्वप्न देखते रह जाएँगे
जबकि असल में
पीछे ही पीछे
चलते जाएँगे।
— डॉ अवधेश कुमार अवध