कविता

दिल से दिवाली मनाएंगे

आ गया खुशियों का त्यौहार , आ गयी देखो दीवाली ।
ऐसा कुछ हम काम करेंगे , हर घर में मनेगी दीवाली ।।
गरीब कुम्हार से दीपक लेके ,उसकी रोशन शाम करेंगे ।
दिल से नफरत को मिटाके  , अहम का सर्वनाश करेंगे ।।
विदेशी चीजों को ठुकरा के  , स्वदेशी को हम प्यार देंगे ।
ऑनलाइन कुछ ना खरीदे , हरएक वस्तु बाजार से लेंगे।।
प्रदूषण रहित पटाखे फोड़कर , मिट्टी के दीये जलाएंगे ।
ऊँच-नीच भेदभाव मिटाकर , दिल से दीवाली मनाएंगे ।।
गरीबों को देंगे मुस्कान , ऐसा हम कुछ इंतजाम करेंगे ।
उनके घर भी हो खुशहाली ,ऐसा हम कुछ काम करेंगे ।।
आओ दिवाली पे प्रणले , प्लास्टिक मुक्त भारत करेंगे ।
उठाकर सब कपड़े का थैला ,पर्यावरण की रक्षा करेंगे ।।
खुशियों का त्यौहार दीवाली , मिलझुलकर सब मनायेंगे ।
रोशनी से जगमग घर होगा ,  खुशी के गीत सब गाएंगे ।।
एक दिया सब शहीदों के नाम , दिल से जरूर जलाएंगे ।
“जसवंत” की करबद्ध विनती , दिल से दिवाली मनाएंगे ।।
— कवि जसवंत लाल खटीक

जसवंत लाल खटीक

रतना का गुड़ा ,देवगढ़ काव्य गोष्ठी मंच, राजसमन्द