भूल के….
रंगीं कागज़ के ये चंद टुकड़े कमाना भूल के।
आ लगा लें दिल ज़रा दिल को जलाना भूल के।।
मुझको कब परवाह थी दुनिया तेरे दस्तूर की।
जी रहा हूँ देख ले ‘उसको भुलाना’ भूल के।।
बच्चों की तकरार को तकरार ही रहने दो तुम।
देख वो फिर हँस दिए रोना रुलाना भूल के।।
यूँ हर एक शय को ज़माने की न तू दिल से लगा।
जाना भी तय है तमन्ना का खजाना भूल के।।
एक कदम तेरा बढ़े और दूसरा मेरा ‘लहर’।
ऐसा करते हैं चलो झगड़ा पुराना भूल के।।