नई सोच हो नई उमंग हो, हो नया तराना।
नए साल हमनें तो मन में, है मीत यह ठाना।।
बुरा बीता सो भूल जाएं हम।
नई अपनी सोच बनाएं हम।
जो रूठे थे जो टूटे थे,
मिलजुल कर उन्हें मनाएं हम।
ना दिल किसी का तोड़े हम।
ना साथ किसी का छोड़े हम।
हो प्यारा घराना।।
गिले शिकबे मिटाएं मन के,
गले लगाएं सब मीत बन के।
अधरों पर मुस्कान नई हो।
अपनी एक पहचान नई हो।
प्रेम बंधा हो भाई चारा ,
रहें बन के सब का सहारा।
कभी ना घबराना।।
कड़बी वाणी त्याग चलें हम।
मधुर पथ पर साथ चलें हम।
दुख दर्द आपस में बाँटें,
फूलों से मसलें हम काँटे।
मानवता का पाठ पढ़ाएं,
दीनदुखी को गले लगाएं।
याद करे जमाना।।
नई सोच हो नई उमंग हो, हो नया तराना।
नए साल हमनें तो मन में, है मीत यह जाना।
— शिव सन्याल