गीत/नवगीत

हो नया तराना

नई  सोच हो  नई उमंग  हो, हो नया तराना।
नए साल हमनें तो मन में, है मीत यह ठाना।।
बुरा बीता सो भूल जाएं हम।
नई  अपनी सोच बनाएं हम।
जो   रूठे   थे   जो   टूटे  थे,
मिलजुल कर उन्हें मनाएं हम।
ना  दिल किसी का तोड़े  हम।
ना साथ किसी का छोड़े हम।
हो प्यारा घराना।।
गिले  शिकबे मिटाएं मन के,
गले लगाएं सब मीत बन के।
अधरों पर  मुस्कान नई  हो।
अपनी  एक पहचान नई हो।
प्रेम   बंधा  हो  भाई  चारा ,
रहें  बन के  सब का सहारा।
कभी ना घबराना।।
कड़बी वाणी त्याग चलें हम।
मधुर पथ पर साथ चलें हम।
दुख   दर्द  आपस  में  बाँटें,
फूलों  से  मसलें  हम  काँटे।
मानवता  का  पाठ   पढ़ाएं,
दीनदुखी   को  गले  लगाएं।
याद करे जमाना।।
नई  सोच हो  नई  उमंग हो,  हो नया तराना।
नए साल हमनें तो मन में, है मीत यह जाना।
— शिव सन्याल

शिव सन्याल

नाम :- शिव सन्याल (शिव राज सन्याल) जन्म तिथि:- 2/4/1956 माता का नाम :-श्रीमती वीरो देवी पिता का नाम:- श्री राम पाल सन्याल स्थान:- राम निवास मकड़ाहन डा.मकड़ाहन तह.ज्वाली जिला कांगड़ा (हि.प्र) 176023 शिक्षा:- इंजीनियरिंग में डिप्लोमा लोक निर्माण विभाग में सेवाएं दे कर सहायक अभियन्ता के पद से रिटायर्ड। प्रस्तुति:- दो काव्य संग्रह प्रकाशित 1) मन तरंग 2)बोल राम राम रे . 3)बज़्म-ए-हिन्द सांझा काव्य संग्रह संपादक आदरणीय निर्मेश त्यागी जी प्रकाशक वर्तमान अंकुर बी-92 सेक्टर-6-नोएडा।हिन्दी और पहाड़ी में अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। Email:. Sanyalshivraj@gmail.com M.no. 9418063995