आँसू की बरसात
नयन कभी जो बादल बनकर
आँसू की बरसात हैं करते,
मन की तप्त ज़मीं को थोड़ा
शीतल,निर्मल, शान्त ये करते,
अाँसू की भी चमक निराली
बिजली बन पलकों पे चमकते,
सिसकियाँ भर गर्जनाएं होती
भोले-भाले सपने हैं डरते,
नयन कभी जो बादल बनकर
आँसू की बरसात हैं करते.