ब्रह्मांड में क्षुद्रग्रहों का विचरण
29 अप्रैल 2020 की तिथि से कई माह पूर्व दुनियाभर के प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया संस्थानों, यूट्यूब चैनलों, सोशल मीडिया में यह दावा कर रख थे कि यह क्षुद्रग्रह 29 अप्रैल को धरती से टकराएगी और धरती विनष्ट हो जाएगी ! ….परंतु इस तथ्य को NASA सहित कई वैज्ञानिक संस्थाओं व चैनलों ने खारिज कर दिए थे । मूलतः, अनिष्टकारी खबरों को सोशल मीडिया में ज्यादा ही शै मिली ! एक यूट्यूब चैनल kura kachra ने इसतरह के अनिष्ट को गलत और भ्रामक बताया ।
दरअसल, एस्टरॉयड 1998 OR2 धरती से लगभग 4 मिलियन मील दूर रही तथा मुश्किल से 4 किलोमीटर की लंबाई-चौड़ाई तथा इतनी ही व्यास लिए इस क्षुद्रग्रह का आकार रहा । धरती से यह जरूर उपलब्ध माध्यमों से दिखाई पड़ी, इसके बाद अपनी कक्षा में गतिमान हो पृथ्वी से अदृश्यमान हो गयी!
29 अप्रैल 2020 से लगभग डेढ़ माह पहले ही यूट्यूब चैनल kura kachra ने स्पष्ट कर दिया था कि क्षुद्रग्रह के धरती से टकराने जैसी कोई घटना नहीं होगी, अगर ऐसी हुई भी तो पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण खिंचाव के प्रसंगश: धरती पर 2/3 हिस्से में महासागर होने के कारण संभावना है कि यह महासागरीय जल में ही गिरेगी, जिससे महासमुद्र में 4 किलोमीटर का व्यास लिए चट्टान का गिरने से ज्वारभाटा ही आ सकते हैं, जो ज्यादातर विनष्टकारक नहीं होंगे, हालाँकि यह सिर्फ कल्पना प्रस्तुति लिए भर है।
हम यह जाने कि क्षुद्रग्रह या एस्टरॉयड क्या है ?
क्या पहले इसे बौना ग्रह या नाबालिग ग्रह भी कहा जाता था ?
यह एक खगोलीय पिंड है, जो ब्रह्मांड में विचरण करते रहते हैं । यह अपने आकार में ग्रहों में से छोटे और उल्कापिंडों से बड़े होते हैं । ध्यातव्य है, पहला क्षुद्रग्रह ‘सेरेस’ 1819 में ग्यूसेप पियाजी द्वारा खोजा गया था । ब्रह्मांड में लाखों क्षुद्रग्रह विचरण करते हैं, जिनमें हजारों की खोज की जा चुकी है और उनका नामकरण हो चुका है।
संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) के आह्वान पर प्रतिवर्ष 30 जून को पूरी दुनिया ‘अंतरराष्ट्रीय क्षुद्रग्रह दिवस’ के रूप में मनाते हैं। विकिपीडियाई जानकारी के आलोक में क्षुद्रग्रहों को उनके विशिष्ट स्पेक्ट्रा द्वारा वर्गीकृत किया जाता है, जो प्रमुखतः 3 श्रेणियों में आती है, यथा- C-type, M-type और S-type यानी क्रमशः कार्बनसमृद्ध, धातुसमृद्ध और सिलिकेट व पत्थरसमृद्ध। सभी क्षुद्रग्रहों का आकार भिन्न-भिन्न होते हैं, किसी के आकार तो 1,000 किलोमीटर तक व्यास लिए होते हैं। क्षुद्रग्रहों को धूमकेतु से विभेदित किया जाता है, क्योंकि धूमकेतु अंतर संरचना में एक है, जबकि क्षुद्रग्रह मुख्य रूप से खनिज और चट्टान से बने होते हैं । धूमकेतु धूल और बर्फ से बना है । इसके इतर क्षुद्रग्रहों ने सूरज के निकट ही अपनी संरचना को प्रवासित किया, तो क्षुद्रग्रह बर्फ को संघटित होने से रोकते हैं!
क्षुद्रग्रहों और धूमकेतु के बीच का अंतर आकार में है, जबकि उल्कापिंडों का एक मीटर से कम का व्यास है, जबकि क्षुद्रग्रहों का एक मीटर से अधिक का व्यास है। उल्का द्रव्य या तो समृद्ध या क्षुद्रग्रहयुक्त पदार्थों से बना हो सकता है। सिर्फ एक क्षुद्रग्रह आमतौर पर नग्न आँखों से भी दिखाई देता है, जो अत्यंत अंधेरे आसमान में और अनुकूल स्थिति लिए । छोटे क्षुद्रग्रह ही पृथ्वी के नजदीक से गुजरते हैं, जो तब थोड़े समय के लिए नग्न आँखों से दिखाई दे सकते हैं। इसप्रकार क्षुद्रग्रह, उल्कापिंड और धूमकेतु में कुछ-कुछ भिन्नताएँ हैं ।