कविता और अभाज्य संख्या
“देश की ही बात करूँ
तो
कल की ही बात है
एक प्रधानमंत्री ने दूसरे प्रधानमंत्री को
हँसी चिलौली किया था-
ये तो रेनकोट पहनकर नहाते हैं
और आज की बात करूँ
तो
देश ही क्यों ?
सम्पूर्ण संसार
मास्क पहनकर
खा रहे हैं !”
अब अभाज्य संख्या के बारे में ! गणित विधा में सबसे आतंकित करनेवाली यह संख्या है, किंतु संख्याप्रेमी अगर थोड़ी सी दिमाग खर्च करें, तो इसे पा सकते हैं, यथा-
“कोई भी संख्या अभाज्य संख्या है या नहीं, इसे जानने के लिए सर्वप्रथम उस संख्या का वर्गमूल निकाल लीजिए । प्राप्त वर्गमूल संख्या में से अगर दशमलव के बाद अंक हो, तो उसे उपयोग में नहीं आते हैं, अपितु दशमलव से पहले जो संख्या आती है, उस संख्या को +1 कर जो संख्या प्राप्त होती है, उस संख्या सहित उनके नीचे की तमाम संख्याओं से भाज्य करने का प्रयास करते हैं । ज्ञात हो, सम संख्या तथा 0 और 5 ‘इकाई’ अंक वाली संख्या स्वाभाविक है कि वह भाज्य होंगे । इसे छोड़कर अन्य सभी संख्याओं या अंकों से कटाने का प्रयास करेंगे, नहीं विभाजित होते हैं, तो वे संख्या अभाज्य होंगे, यथा-
37 का वर्गमूल = 6.0827625303 में 6 को रखते हैं, फिर 6+1 करते हैं, जो कि 7 प्राप्त होता है । अब 7 सहित उनके नीचे 1, 2, 3, 4, 5, 6 और 7 है, इन अंकों से 37 को विभाजित करने का प्रयास करते हैं, जो कि किसी से नहीं कटते हैं । विदित है, 37 सम संख्या भी नहीं है । इसलिए नियमानुकूल 1, 2, 4, 5, 6 से 37 को नहीं कटाते हैं, यह काम आसान के लिए भी है।
123 का वर्गमूल = 11.0905365064 में 11 रखते हैं, फिर 11+1 करते हैं, जो कि 12 प्राप्त होता है । अब 12 सहित उनके नीचे 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 है, इन अंकों से 123 को विभाजित करने का प्रयास करते हैं, जो कि 3 से कट जाते हैं । विदित है, 123 सम संख्या नहीं है । इसलिए नियमानुकूल 1, 2, 4, 5, 6, 8, 10, 12 से 123 को नहीं कटाते हैं, यह काम आसान के लिए भी है।”