मीरा
प्रीत बसी हो जिन नैनन में
उसे धीर कहाँ से आए
ऐसी प्रीत करी मीरा ने
वन-वन भटकी जाए।
लोक लाज सब छोड़ के
प्रेम की अलख जगाए
जिस अंतर में श्याम बसे
कैसे उन्हें हिय बिसराए।
गिरधर की वो प्रेम पुजारिन
कितनी यातना पाए
विष का प्याला पी गई मीरा
अधरों पर श्याम सजाए।
— सपना परिहार