बुआ
बुआ जब भी आती हैं,
खेल-खिलौने लाती हैं,
टॉफी-बिस्कुट-कपड़े-मिठाई,
चीजें ढेर-सी लाती हैं.
ममी कहतीं, ”रोज बुआ से,
चीजें लेना ठीक नहीं”,
”मैं मजबूर हूं पर्स बुआ का,
चेक किए बिन चैन नहीं.”
बुआ जब भी आती हैं,
खेल-खिलौने लाती हैं,
टॉफी-बिस्कुट-कपड़े-मिठाई,
चीजें ढेर-सी लाती हैं.
ममी कहतीं, ”रोज बुआ से,
चीजें लेना ठीक नहीं”,
”मैं मजबूर हूं पर्स बुआ का,
चेक किए बिन चैन नहीं.”