गीतिका/ग़ज़ल

पेड़ की अभिलाषा

मत काट मत काट विनती कर जोड़ करूँ।
तेरे काम आता हूँ तेरे हर दुख दर्द मैं  हरूँ।
तेरे  बुजु़र्गों ने पाला प्यार अपना लुटा कर,
घूर घूर  देख रहा  तू नियत तेरी से मैं डरूँ।
उजाड़ा दिया क्यों परिवार मेरा दोष बता,
देखता हूँ  कुमति  तेरी  मन में आहें भरूँ।
स्वच्छ,हवा,पानी,हरियाली मिलती मुझ से,
करता खनन लूटता संपदा मेरी क्या करूँ।
बँधा जीवन तेरा मेरी ही साँसों की डोर से,
दिन  रात तेरी  ही सेवा  में मानव  मैं मरूँ।
मेरा जीवन तेरे हाथ, तेरा मेरे हाथ है पगले,
सोचता क्यों नहीं क्यों पेड़ का जीवन हरूँ।
पेड़  खूब तू लगा मेरा अपना परिवार  बढ़ा,
काटो न मुझे कभी आज तुम से अर्ज करूँ।
तुम भी खुश रहो जमीं पर मैं भी खुश रहूँगा,
बन जाएं मीत दोनों मैं कभी तुम से न डरूँ।
— शिव सन्याल

शिव सन्याल

नाम :- शिव सन्याल (शिव राज सन्याल) जन्म तिथि:- 2/4/1956 माता का नाम :-श्रीमती वीरो देवी पिता का नाम:- श्री राम पाल सन्याल स्थान:- राम निवास मकड़ाहन डा.मकड़ाहन तह.ज्वाली जिला कांगड़ा (हि.प्र) 176023 शिक्षा:- इंजीनियरिंग में डिप्लोमा लोक निर्माण विभाग में सेवाएं दे कर सहायक अभियन्ता के पद से रिटायर्ड। प्रस्तुति:- दो काव्य संग्रह प्रकाशित 1) मन तरंग 2)बोल राम राम रे . 3)बज़्म-ए-हिन्द सांझा काव्य संग्रह संपादक आदरणीय निर्मेश त्यागी जी प्रकाशक वर्तमान अंकुर बी-92 सेक्टर-6-नोएडा।हिन्दी और पहाड़ी में अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। Email:. [email protected] M.no. 9418063995