कविता

परीक्षा घड़ी

शंख,  लिखित दो  ऋषि भाई थे,  हंसध्वज  के राज में ,
थे राजगुरु, राज-पंडित औ’ शास्त्र, ज्योतिष, काज में  ।
वक्ता शंख, संतलेखक लिखित – दोनों थे लिपिबद्धकार,
पर मंथरा  –  सी कटु – कर्म, कटु – नारद थे निर्बन्धकार।
कथानक ,  चरित्र  –  चित्रण   और   संवाद  के  प्रेमी थे ,
शैली,  देश,  काल,  उद्देश्य- रूपण, विवाद  के  प्रेमी थे।
दुर्बुद्धि  आ  घेरा  गुरु  को ,  आकर सुधन्वा ज़रा विलंब,
अवलंब पर राजा ने , कड़ाही तेल की मँगाया अविलंब ।
डब – डब  करते   तेल ,  बनाते   जलकर आँच –  ताप ,
मृत्यु – कारज  कि शंख – लिखित  मनतर  साँच – जाप ।
कठोर  चाम  में  बाहर ,  कि अंदर श्वेत कोमल नारिकेल,
परीक्षा लेने को आरद्ध वहाँ , कि गरम है या नहीं – तेल ।
गंभीर नाद, फल हुआ खंड, लगा कपाल में – से ठोकर ,
हुआ  चित्त,  लेकर  धरा  पर , संग मरण में – से सोकर।

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.