बोधकथा

वैर का अंत वैर से नहीं

डॉ. राधाकृष्णन विश्व पर्यटक थे । इनकी यात्राएं धर्म और संस्कृति को लेकर अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र तथा विश्व के संत-समाज में भारत का सम्मान बढ़ाने के लिए थी। स्तालिन रूस के ऐसे व्यक्ति थे, जो धर्म और आध्यात्मिकता से परे भौतिकवाद पर विश्वास करते थे, लेकिन दूसरी मुलाकात में जब डॉ. राधाकृष्णन ने उनसे कहा- “भारत में एक ऐसे राजा हुए, जिसने बहुत समय तक रक्तपात किया, लेकिन एक दिन उसने अनुभव किया कि हिंसा मानव जाति पर कलंक है । इसलिए उसने हिंसा का मार्ग त्याग दिया और प्रेम, अहिंसा, शांति की नीति अपना ली।” इस बात पर स्तालिन चुप रहे। शायद उन्हें रह-रहकर याद आती होगी, बुद्ध के उस वचन का यानी ‘वैर का अंत, वैर से नहीं !

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.