कविता

/ अंत नहीं है.. /

सबके साथ समरसता लाते हुए आगे का कदम लेना
सबसे बड़ा कठिन कार्य है
मैं अनुभव करता हूँ कि
हजारों – लाखों विचारवाली इस दुनिया में
समता, बंधुता खुला आसमान है,
ज्ञान – विज्ञान के ध्रुवतारे सभी चमकते हैं
आकाश की ओर ताकता हूँ,
उस चमक का आस्वाद लेता हूँ
इस अनुभूति में रूक जाता हूँ,
अपना कदम भूल जाता हूँ
मेरे सिर पर ठप-ठप ओले पड़ने लगते हैं,
सर – सर ठंड़ी हवा झोंकती है
मेरे अंदर ज्वलित आग मुझे गरमी देती है
अपने आप में प्रज्वलित दीप्ति हूँ मैं
प्रांजलता, प्रौढ़ता के लिए तल्लीन हो जाता हूँ
अनंत वायु मंडल में अपने साँस को ढूँढ़ता हूँ
उसके गमन को जानना चाहता हूँ
असफलता घेरकर बैठती है
जानता हूँ मेरी यात्रा निरंतर चलती रहेगी
इसका अंत कभी नहीं होगी…

पी. रवींद्रनाथ

ओहदा : पाठशाला सहायक (हिंदी), शैक्षिक योग्यताएँ : एम .ए .(हिंदी,अंग्रेजी)., एम.फिल (हिंदी), सेट, पी.एच.डी. शोधार्थी एस.वी.यूनिवर्सिटी तिरूपति। कार्यस्थान। : जिला परिषत् उन्नत पाठशाला, वेंकटराजु पल्ले, चिट्वेल मंडल कड़पा जिला ,आँ.प्र.516110 प्रकाशित कृतियाँ : वेदना के शूल कविता संग्रह। विभिन्न पत्रिकाओं में दस से अधिक आलेख । प्रवृत्ति : कविता ,कहानी लिखना, तेलुगु और हिंदी में । डॉ.सर्वेपल्लि राधाकृष्णन राष्ट्रीय उत्तम अध्यापक पुरस्कार प्राप्त एवं नेशनल एक्शलेन्सी अवार्ड। वेदना के शूल कविता संग्रह के लिए सूरजपाल साहित्य सम्मान।