/ अंत नहीं है.. /
सबके साथ समरसता लाते हुए आगे का कदम लेना
सबसे बड़ा कठिन कार्य है
मैं अनुभव करता हूँ कि
हजारों – लाखों विचारवाली इस दुनिया में
समता, बंधुता खुला आसमान है,
ज्ञान – विज्ञान के ध्रुवतारे सभी चमकते हैं
आकाश की ओर ताकता हूँ,
उस चमक का आस्वाद लेता हूँ
इस अनुभूति में रूक जाता हूँ,
अपना कदम भूल जाता हूँ
मेरे सिर पर ठप-ठप ओले पड़ने लगते हैं,
सर – सर ठंड़ी हवा झोंकती है
मेरे अंदर ज्वलित आग मुझे गरमी देती है
अपने आप में प्रज्वलित दीप्ति हूँ मैं
प्रांजलता, प्रौढ़ता के लिए तल्लीन हो जाता हूँ
अनंत वायु मंडल में अपने साँस को ढूँढ़ता हूँ
उसके गमन को जानना चाहता हूँ
असफलता घेरकर बैठती है
जानता हूँ मेरी यात्रा निरंतर चलती रहेगी
इसका अंत कभी नहीं होगी…