मोहर्रम और दीवाली
‘मोहर्रम पर्व’ : अन्याय और शोषण के विरुद्ध सच्चाई के रास्ते पर ‘शहादत’ । इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, पैग़म्बर मुहम्मद साहब के नाती हज़रत इमाम हुसैन और उनके साथियों ने कर्बला के मैदान में अन्याय, नफ़रत और शोषण के विरुद्ध सच्चाई और ईमानदारी के पथपर चलते हुए युद्ध करते-करते अपने को कुर्बान कर डाले तथा शहीद हो गए, इस दिन की तिथि मोहर्रम की 10 वीं तारीख थी।
कालांतर में इसी तारीख को शहीद इमाम और उनके साथियों की याद में मोहर्रम मनाया जाता है । मैंने कई साल पहले गंगा-जमुनी-तहज़ीब के आलोक में मोहर्रम और दीवाली के तुलनात्मक परिप्रेक्ष्य में लिखा था – “मोहर्रम (MOHARRAM) में ‘राम’ (RAM) है, तो दीवाली (DEEWALI) में अली (ALI) है” ….. यहाँ द्रष्टव्य है, MOHAR’RAM’ के अंतिम 3 वर्णाक्षर मिल RAM (राम) बनता है, फिर DEEW’ALI’ के अंतिम 3 वर्णाक्षर मिल ALI (अली) बनता है।
हिन्दू सनातन संस्कृति में ‘राम’ आराध्यदेव हैं, तो इस्लामिक मज़हब में ‘अली’ की सर्वोपरि महत्ता है। हमारे इस्लामिक बंधु – बांधवों को मोहर्रम / मुहर्रम की सुसफलकामनायें !