बेमिसाल ताज़िया
बेमिसाल ताज़ ! अजूबा ताज़िया ! बिहार, झारखंड, प. बंगाल से चिपके प्यारे ‘मनिहारी’ अनुमंडल में लगातार दो दिनों से मौसम में हथिया नक्षत्र घुलनशील हो जलबूँद बन ठण्डलता बरसा रही है और इसी ठण्डलता के बीच दुर्गा पूजा और मुहर्रम सौहार्दपूर्ण वातावरण में मनाई गई । वर्षारानी की तेजोमयी मूसलाधारण से गाँव की कच्ची सड़क जहाँ कीचड़मय हो गई, किन्तु नवाब शौक़तजंग के बसाये मेरे ऐतिहासिक ग्राम की इसी सड़क पर मुस्लिम भाइयों ने ताज़िया – यात्रा की पूर्वपरम्परित संस्कृति को जारी रखे रहा ।
परंतु ऐसा ताज़िया मैंने आजतक नहीं देखा ! यह ताज़िया भारतीय मानचित्र के बीच बनाया गया था, जहाँ सफेद रंग, जो शांति का प्रतीक है, के बिल्कुल मध्य, जहाँ ‘अशोक चक्र’ रहता है, वहीं ताज़िया को शिल्पगत बनाया गया था… अद्भुत और नवनूतन ऐसी कृति, जो शोक – प्रतीक होकर भी गंगा – जमुनी – तहज़ीब में आबद्ध हो राष्ट्र भारतवर्ष को सर्वोपरि के साथ सर्वोच्चता दी गई । अद्भुत ताज़िया – यात्रा में मुस्लिम भाइयों – बहनों के साथ – साथ हिन्दू भाई – बहनों के कदमताल भी विहंगम दृश्य लिए था । आगामी वर्ष भी ऐसे खूबसूरत दृश्य के लिए टकटकी अब से ही लगाए हूँ ! बेमिसाल ताज़ ! अजूबा ताज़िया !