अनुपस्थिति मतलब वेतन कटौती !
शिक्षा विभाग, बिहार ने एक RTI आवेदन के जवाब [पत्रांक- 1705, दिनांक- 28.10.2016] में कहा- ‘नियोजित शिक्षक सरकारी सेवक है या नहीं, इस संबंध में कोई भी सेवाशर्त्त अभी नहीं बना है ।’
इसके साथ ही विभाग की अधिसूचना सं. 7/वि.1-14 /2013-71, दिनांक- 23.01.2014 के आलोक में नियोजित शिक्षक नियमावली की कंडिका- 15 में उप-नियम प्रविष्ट किया गया- ‘जिला प्रशासन अथवा शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों द्वारा निरीक्षण के दौरान किसी शिक्षक को विद्यालय से बिना सूचना अनुपस्थित पाए जाने पर स्पष्टीकरण पूछा जाएगा । स्पष्टीकरण असंतोषप्रद होने पर सम्बन्धित शिक्षक की अनुपस्थिति अवधि का वेतन काटने का निर्देश दिया जा सकेगा ।’
सम्प्रति, वेतन-विसंगति और कई सेवाशर्तों को लेकर विभिन्न शिक्षक संगठनों बनाम बिहार सरकार के मा. सर्वोच्च न्यायालय में संस्थित वाद पर न्यायादेश की बानगी 10.10.2018 को आने की संभावना है । ध्यातव्य है, मा. पटना उच्च न्यायालय से शिक्षक संगठनों की जीत को मा. सर्वोच्च न्यायालय ने रोक भी नहीं लगाई है ।
ऐसे में शिक्षा अधिकारियों द्वारा विद्यालय के औचक निरीक्षण के दौरान अनुपस्थित नियोजित शिक्षकों के उस दिन का वेतन न काट, उन्हें अन्यार्थ व सरकारी सेवक की भाँति प्रताड़ित किया जा रहा है । जो गैर-विधिक है ।
ऐसे में प्रभावित नियोजित शिक्षक ‘कोर्ट’ की शरण में तो जा ही सकते हैं!