किस्मत का खेल!
”खाना लगाऊं?” अधेड़ उम्र के व्यक्ति से पत्नी ने पूछा.
”सब्जी क्या बनाई है?” रोज का सवाल था.
”ग्वारफली.”
”आज मैं अपने दोस्त के घर खाना खाऊंगा.”
किस्मत का खेल! दोस्त के यहां भी ग्वारफली की सब्जी ही मिली, प्रसन्नता जताते हुए उसने मन मसोसकर खाना खाया.
किस्मत का खेल यहां भी था.
”आप भी चुनाव में प्रतिभागिता करें.” एक ऑफिसकर्मी ने अपनी सफाईकर्मी से कहा. सफाईकर्मी वहां पांच साल से काम कर रही थी.
”क्या कहा, मैम!” इतनी बड़ी बात का सफाईकर्मी को अपने कानों पर विश्वास कैसे होता!
”असल में मैं चुनाव में प्रतिभागिता कर रही हूं, पर मेरे खिलाफ कोई भी उम्मीदवार खड़ा नहीं हुआ. इस तरह मैं निर्विरोध चुन ली जाऊंगी, तो पार्टी की पारदर्शिता पर उंगली उठेगी. ऐसा करिये कि आप मेरे खिलाफ चुनाव में खड़ी हो जाइए.” ऑफिसकर्मी ने अपनी बात स्पष्टता से दोहराई. यह सम्मानसूचक संबोधन व कथन शायद भविष्य का संकेत था.
सफाईकर्मी तनिक हिचकिचाई, लेकिन किसी तरह हिम्मत कर खड़ी हो गई.
अब 35 वर्षीय सफाईकर्मी उस ऑफिस की बॉस बनकर अपनी जिम्मेदारी समझने और काम सीखने की कोशिश कर रही है.
किस्मत के खेल ने उलटफेर जो कर दिया था! उसने चुनाव जीत लिया था!
यह लघुकथा एक सत्यकथा है. इसकी विस्तृत जानकारी आप इस समाचार की सुर्खी को सर्च करके जान-पढ़ सकते हैं.———–
जिस दफ्तर में थीं सफाईकर्मी, किस्मत ने बना दिया वहां का बॉस—————-
रूस के एक चुनाव की चर्चा दुनियाभर में हो रही है। इसकी वजह है एक महिला कैंडिडेट। दरअसल, यह महिला जिस दफ्तर में पिछले पांच वर्षों से सफाईकर्मी के तौर पर काम कर रही थी अब वो उसी ऑफिस में बॉस के तौर पर काम करेगी। महिला का नाम है मरिना उदोदस्काया, जिन्होंने बता दिया कि किस्मत कभी भी पलट सकती है।