गजल
जहाँ का दौर कैसा चल रहा है
सभी से अपना झगडा चल रहा है
न जाने क्या किया राह दिखाने वालोो ने
क्यो हर शख्स तन्हा चलरहा है॥
कई बार धोका खाकर भी उन पर॥
न जाने क्यो भरोसा चल रहा है
ये सब जानते है के वो काबिल नही है वो
जहाँ क्यो इतना खोटा सिक्का चल रहा है
हुई सदियां गुजर गये जमाने उनको
मगर मजनूं का किस्सा चल रहा है॥
— अभिषेक जैन