राजनीति

स्वदेशी बनाम चीनी वस्तुएं- हां या ना

हमारे भारत देश को सोने की चिड़िया कहा जाता है | भारत वास्तव में दुनिया के सुंदर देशों में से एक है | इसे कृषि प्रधान देश भी कहा जाता है | हमें बेशक बहुत ही गर्व है अपने देश पर अपने हिंदुस्तान पर | परंतु सबसे अफसोस की बात यह है कि हमारे देश में विदेशी वस्तुएं ज्यादा खरीदी जाती है | आखिर ऐसा क्यों? हम नारे अवश्य लगाते हैं, हमारा भारत महान| हमारे देश में हर प्रकार की सुविधाएं मौजूद है | परंतु हमने चीनी सामान खरीदने की आवश्यकता क्यों पड़ जाती है | आखिर क्या कमी है हमारे देश में?

चीनी सामान को खरीदना मतलब दुश्मन की मदद करने के प्रकार है | हर राष्ट्रवादी भारत को चीनी सामान का बहिष्कार करना चाहिए | आज दुनिया के बाजार में चीन का 25% सामान बिकता है | जिसे हमारे देश को अधिक नुकसान हो रहा है | हमारे यहां के उद्योग धंधे बंद हो रहे हैं | चीनी की वस्तुएं जो हमारे देश में आती है | वह सस्ती व चमक-दमक होने के कारण व आकर्षक विज्ञापन दिखाने के कारण, हमें अपना शिकार बना लेती है | इससे विदेशी कंपनियां मालामाल हो रही है | और हम अपने कल के कारखाने इंडस्ट्रीज बंद करते जा रहे हैं| हमारी अर्थव्यवस्था तेज होने के बावजूद भी गरीबी और बेरोजगारी बढ़ती ही जा रही है | अपना स्वदेशी सामान चाहे कम गुणवंता का हो, थोड़ा महंगा हो, तब भी अपनी समृद्धि के लिए युवक-युवतियों का रोजगार बढ़ाने के लिए स्वदेशी सामान खरीदना ही आवश्यक है |

स्वदेशी वस्तुओं के प्रयोग से ही देश की अधिक उन्नति होगी | स्वाधीनता के वक्त से ही स्वदेशी का नारा का नारा ही स्वदेशी का नारा का नारा लगाया जाता रहा | पहले विदेशों से हम सामान आयत हम सामान आयत करते थे | अब हम खुद सामान का उत्पादन करके दूसरे देशों का निर्यात करते है | एक समय ऐसा भी अवश्य आएगा जब सब सामानों का उपलब्ध केवल भारत में ही संभव होगा | लक्ष्य बड़ा होना चाहिए | चीन को भारत से ही भगा देना है | चीन के साथ कारोबारी रिश्तो को सरकार और अर्थव्यवस्था की कामयाबी के रूप में पेश किया जाता है | लेकिन जब कभी दोनों देशों में विवाद होता है तब लड़ायो -फुलझड़ीयो का विरोध शुरू हो जाता है | देश में जो भी विकास अभी तक हुआ है ,वह वास्तव में स्वदेशी के आधार पर ही हुआ है |

स्वदेशी भावना का अर्थ है हमारी भावना | जो हमें दूर छोड़ कर अपने अपने समर्पित परिवेश का उपयोग और सेवा करना सिखाती है | स्वदेशी आंदोलन है सादगी का | आज बाबा रामदेव जैसे कहीं महा पुरुष हमारे देश में स्वदेशी वस्तुएं उपलब्ध करा रहे हैं | स्वदेशी वस्तुएं महंगी क्यों ना हो पर सेहत के साथ कोई भी खिलवाड़ नहीं करती ,या हानि नहीं पहुंचाती| उदाहरण आपके लिए पतंजलि वस्तुएं ,जो कि आज अधिक से अधिक बीकी जा रही है | और मेक इन इंडिया जो कि भारत सरकार द्वारा देशी और विदेशी कंपनियों द्वारा भारत में ही वस्तुओं के निर्माण पर निर्माण करने के लिए ही बनाया गया है | इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया था | स्वदेशी से मेरा मतलब केवल भारत के कारखानों में ही बनी वस्तुओं से नहीं है | स्वदेशी से मेरा मतलब भारत के बेरोजगार लोगों के हाथों की बनी वस्तुओं से भी है | हमारी माताएं आज भी अधिक श्रम कर रही है | परंतु कामयाबी विदेशी लोगों को मिल रही है | ऐसा क्यों ? स्वदेशी आंदोलन है समाज की सेवा का |

आज अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जितना विरोध जितनी परेशानी चीन भारत के लिए पैदा कर रहा है | उतना दुनिया का कोई भी देश नहीं कर रहा | फिर भी हम चीन से प्रतिवर्ष 40% घाटा उठा उठा उठा रहे हैं | कृपया अपने व्यवहार के बारे में विचार करें चीन सबसे अधिक बाधाएं खड़ी कर रहा है | हालांकि प्रत्येक भारतीय के लिए सबसे आसान बात यही है कि चीन लगातार पाकिस्तान का समर्थन कर रहा है | जो कि हमें कतई मंजूर नहीं |

सरकार विदेशी निवेश के मुंह को त्याग कर स्वदेशी यानी स्वदेशी यानी कर स्वदेशी यानी स्वदेशी यानी स्वदेशी संसाधन, स्वदेशी प्रौद्योगिक और स्वदेशी मानव संसाधनों के आधार पर विकास करने की मानसिकता अपनाकर हमारे देश को महाशक्ति बना रहा है | स्वदेशी के अलावा कोई मार्ग नहीं है | स्वदेशी हि हमारी संस्कृति है |हमारी विरासत है | स्वदेशी ही हमारा धर्म है | व स्वदेशी ही हमारी पहचान है |

— रमिला राजपुरोहित

रमिला राजपुरोहित

रमीला कन्हैयालाल राजपुरोहित बी.ए. छात्रा उम्र-22 गोवा